मे जब निर्भया के ऑखोसे देखती हूँ
तो मुझे अपने भारतीय होने पे गर्व नहीं शर्म महसूस होती हे
जहा माँ की कोक मेही लडकियों को मारा जाता हे
और जहा खुले आम बाजारों में लडकियों को बेचा जाता हे
मे जब निर्भया के ऑखोसे देखती हूँ
तो मुझे अपने भारतीय होने पे गर्व नहीं शर्म महसूस होती हे
जहा बचपंसे बेटा और बेटी मे फरक किया जाता हे
जहा लड्कोको पढाया-लिखाया जाता हे
और लड्कियोको पैसा कमाने का जरिया बयाना जाता हे
मे जब निर्भया के ऑखोसे देखती हूँ
तो मुझे अपने भारतीय होने पे गर्व नहीं शर्म महसूस होती हे
16 दिसम्बर की रात से सताया जा रहा था बस एक ही सवाल
क्या कसूर था मेरा ?? क्यू दे गई मुझे ये सजा????
क्या कसूर था मेरा ?? क्यू दे गई मुझे ये सजा????
नजाने मुझे मिटाके क्या मिला उन असूरोको ..हवस का ये मजा ?
मे जब निर्भया के ऑखोसे देखती हूँ
तो मुझे अपने भारतीय होने पे गर्व नहीं शर्म महसूस होती हे
29 दिसम्बर की रात को ख़ुद सो गई
और कारडो को जगा गई
लेकिन न्यायदेवता की आखोंसे पट्टी नहीं खुली
आगया हे वक़्त अब वो पट्टी खुल्नेका ....
आगया हे वक़्त अब वो पट्टी खुल्नेका ....
क्या पता शायद उसको इंतजार था बस मेरी ही बलि चढ़नेका ...बस मेरी ही बलि चढ़नेका ...
मे जब निर्भया के ऑखोसे देखती हूँ
तो मुझे अपने भारतीय होने पे गर्व नहीं शर्म महसूस होती हे
तो मुझे अपने भारतीय होने पे गर्व नहीं शर्म महसूस होती हे
जहा माँ की कोक मेही लडकियों को मारा जाता हे
और जहा खुले आम बाजारों में लडकियों को बेचा जाता हे
मे जब निर्भया के ऑखोसे देखती हूँ
तो मुझे अपने भारतीय होने पे गर्व नहीं शर्म महसूस होती हे
जहा बचपंसे बेटा और बेटी मे फरक किया जाता हे
जहा लड्कोको पढाया-लिखाया जाता हे
और लड्कियोको पैसा कमाने का जरिया बयाना जाता हे
मे जब निर्भया के ऑखोसे देखती हूँ
तो मुझे अपने भारतीय होने पे गर्व नहीं शर्म महसूस होती हे
16 दिसम्बर की रात से सताया जा रहा था बस एक ही सवाल
क्या कसूर था मेरा ?? क्यू दे गई मुझे ये सजा????
क्या कसूर था मेरा ?? क्यू दे गई मुझे ये सजा????
नजाने मुझे मिटाके क्या मिला उन असूरोको ..हवस का ये मजा ?
मे जब निर्भया के ऑखोसे देखती हूँ
तो मुझे अपने भारतीय होने पे गर्व नहीं शर्म महसूस होती हे
29 दिसम्बर की रात को ख़ुद सो गई
और कारडो को जगा गई
लेकिन न्यायदेवता की आखोंसे पट्टी नहीं खुली
आगया हे वक़्त अब वो पट्टी खुल्नेका ....
आगया हे वक़्त अब वो पट्टी खुल्नेका ....
क्या पता शायद उसको इंतजार था बस मेरी ही बलि चढ़नेका ...बस मेरी ही बलि चढ़नेका ...
मे जब निर्भया के ऑखोसे देखती हूँ
तो मुझे अपने भारतीय होने पे गर्व नहीं शर्म महसूस होती हे